06 अगस्त 2010

क्रिकेट का समाज के विकास में योगदान

अपनी अपनी ढपली, अपना अपना राग
जिसका लगा मौका, वही रहा अलाप

क्रिकेट ने समाज के विकास में क्या योगदान दिया है? श्री सुधीर जी का सवाल बहुत अच्छा है। यह सवाल ऐसा ही सवाल है, जिसके जवाब में भी सवाल पूछने को मन करता है। यदि मैं पूछूं कि फुटबॉल, हॉकी, स्केटिंग, बैडमिंटन या फिर अन्य खेलों ने समाज के विकास में क्या योगदान दिया है तो!!!!!!!!!!!
खैर, जब सवाल पूछ ही लिया है तो जवाब दिया जाना भी जरूरी है। डॉक्टर किसी की जिंदगी बचाते हैं और उन्हें भगवान का दर्जा मिल जाता है, ठीक है। लेकिन जीवन सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है कि लोग बीमार हों और फिर उनका इलाज करके उन्हे ठीक कर दिया जाए। जिंदगी में हंसी, खुशी, गम भी शामिल हैं। किसी भी खेल को खेलते वक्त जो भावनाएं होती हैं, वही हमें असल जिंदगी में भी जीना सिखाती हैं। टीम भावना हमें खेल ही सिखा सकते हैं। टीम में रहकर ही बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं। मैं सिर्फ क्रिकेट नहीं, सब खेलों के बारे में बात कर रहा हूं।
एक, हमारे देश में मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन है क्रिकेट और सिनेमा। और इसके लिए बाजार किसी को मजबूर नहीं करता कि आप क्रिकेट मैच या फिल्में देखो। लोगों का मन करता है तो देखते हैं, नहीं करेगा तो नहीं देखेंगे। इंसान अपनी थकान मिटाने और खुद को रिफ्रेश करने के लिए मनोरंजन का सहारा लेता है। मनोरंजन के जरिए रिफ्रेश होकर एक बार फिर अपने काम में जुट जाता है। यदि वह टीचर है और रिफ्रेश होकर बच्चों को पढ़ाता है तो जाहिर है कि समाज के विकास में योगदान दे रहा है। आज के युग में गली नुक्कड़ में मदारी लोग बंदर या भालू नहीं नचाते, न ही आपके द्वार पर आकर कोई चुटकुले या नोटंकी करता है, जिससे कि आप खुद को हल्का महसूस करें। आपके पास टीवी है और टीवी पर मनोरंजन। इसलिए मनोरंजन का समाज के विकास में योगदान है या नहीं, यह सवाल करना बेमानी है।
दो, बच्चे खेलते हैं। क्रिकेट या कोई अन्य खेल। इससे उनके शारीरिक व मानसिक दोनों तरह के विकास होते हैं। क्या यह विकास समाज के लिए विकास नहीं है? खेलों के जरिए उनमें टीमवर्क की भावना पैदा होती है, क्या यह समाज के विकास में शामिल नहीं है? खेल उन्हें विकट से विकट परिस्थितियों से जूझना सिखाते हैं, क्या इसे हम समाज के विकास में योगदान नहीं मानेंगे? खेल, क्रिकेट या कोई और, समाज के विकास में योगदान देता ही है।
मेरे दो सवाल,,,,,,,,,,
क्या आप खेलों और अन्य मनोरंजन को समाजिक विकास में बाधा मानते हैं?
क्या आपकी नजर में खेल समय बर्बाद करने का साधन मानते हैं?


अदा जी आपके लिए
अदा जी, आपने कहा कि सचिन को भगवान बताने वाले लोग बेवकूफ हैं। श्री सुधीर जी उन लोगों को चारणभाट कहते हैं। यह लोकतंत्र है और आप जिसे जो चाहें, कह सकते हैं। हम लोग हनुमान चालीसा पढ़ते हैं, जिसमें हनुमान जी की बडाई की गई है। उसके पुख्ता सबूत क्या आपके पास हैं? यदि होते तो आप उन नेताओं के उस सवाल का जवाब दे पातीं, जिसमें श्री राम के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लगा दिया गया। हनुमान चालीसा तो सिर्फ एक उदाहरण हैं। सभी देवी-देवताओं की बात करें तो हमारे पास कोई सबूत नहीं हैं, फिर भी हम उनकी प्रशंसा में गीत गाते हैं। क्या हम सब चारणभाट हैं? या फिर बेवकूफ हैं?
हमें केवल उन्हीं डॉक्टरों के गुण गाने चाहिए जो किसी बीमार को ठीक कर देते हैं? उनकी वंदना गानी चाहिए? जैसा कि वीरेंद्र जी ने कहा, वे सब अपने पेशे को अंजाम दे रहे हैं। यदि कोई अच्छा काम करता है तो उसे कोई भगवान भी कह देता है, इसमें विरोध करने की तो बात ही नहीं उठती। यदि सचिन अपना काम अच्छे से कर रहा है और हम लोग उसे क्रिकेट का भगवान कहते हैं, तो दूसरों को आपत्ती क्यों? आप तो डॉक्टर को डॉक्टरी का भगवान नहीं कहते? आप उसे सिर्फ भगवान कहते हैं? क्या वह भगवान तुल्य हो गए?
गायकी की क्षेत्र में रफी, किशोर, नुसरत फतेह अली खां और लता मंगेशकर को भगवान मानकर पूजा जाता है। गायकी सीखने वाले इनकी धूप-अगरबत्ती करते हैं। क्या आप उन सब को बेवकूफ कहेंगी?
नृत्य सीख रहे लोग माइकल जेक्सन या अन्य डांसरों को भगवान मानते हैं, पूजते हैं। क्या आप उन्हें भी बेवकूफ कहेंगी?
अभिनय सीखने और फिल्में देखने वाले बहुत से लोग अमिताभ बच्चन, रजनी कांत के मंदिर बनाकर उन्हें पूज रहे हैं। क्या उन्हें बेवकूफ कहा जाए?
जो आपका आदर्श है, आपको अच्छा लगता है और आप उसे देखकर सुख की अनुभूति करते हैं तो उसे भगवान कहने में क्या बुराई है?



श्री सुधीर जी, आपके लिए
आपको क्रिकेट के व्यावसायीकरण की चिंता है। आपको शीतल पेय पदार्थों के दाम सता रहे हैं। क्या आपको इनके अलावा भी कुछ चीजें परेशान कर रही हैं? जैसे कि दवाओं के दाम। या फिर कॉमनवेल्थ का घपला या फिर भ्रष्टाचार रिश्वतखोरी या फिर महंगाई?????
एक यह बात मन से निकाल दें कि क्रिकेट में सचिन को रोल मॉडल बनाया गया है। इस समय इंडिया में विज्ञापनों के लिए यदि किसी क्रिकेट खिलाड़ी को लिया जाता है और वह सचिन है तो इसमें व्यवसायियों ने अपना मुनाफा जरूर देखा होगा। उसके रिकॉर्ड पर नजर जरूर डाली होगी, वरना सचिन से बेहतरीन करियर तो कांबली ने शुरू किया था। जिस फिल्म अभिनेता की फिल्म हिट होती है विज्ञापन उसी को मिलते हैं, न कि विज्ञापन करने वाले अभिनेता की फिल्में हिट होती हैं। खिलाड़ियों के साथ भी वैसा ही है। जो मैदान में चलेगा, वही बाहर भी चलेगा। आउट ऑफ फार्म खिलाड़ियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। विज्ञापन वाले भी अपना हाथ खींच लेते हैं। सचिन ने खुद को साबित किया है। इसलिए लोगों ने उसे सिर आंखों पर बिठाया है। लगभग 120 करोड़ से ज्यादा लोग एक साथ मूर्ख नहीं बनाए जा सकते। मीडिया वाले किसी के गुलाम नहीं हैं। धोनी एक मैच हरवाता है तो घर के बाहर नारेबाजी करवा देते हैं। फिर भला अब तक सचिन तेंदुलकर को कंपनियां रोल मॉडल बनाकर भगवान की तरह पेश कर रही हैं, यह कैसे मीडिया की नजर से बचा रहता?
जिन डॉक्टरों की आप दुहाई दे रहे हैं, वे सिर्फ वही दवाएं लिखते हैं, जिन दवाओं की कंपनियां डॉक्टरों के घर डिब्बा बंद मिठाई, सूखे मेवे और मोटी रकम भिजवाती हैं। जिन्हें अदा जी और आपने भगवान कहा है, उनकी सच्चाई किसी से छिपी नहीं है। मैं सभी डॉक्टर्स की बात नहीं करता, लेकिन अधिकतरों के साथ ऐसा ही है। आप जानते ही होंगे कि दवाओं पर जितना मुनाफा है, शायद उतना शीतल पेय पदार्थों पर भी नहीं। दवाओं पर 20 से लेकर 95 प्रतिशत तक मुनाफा कमाया जा रहा है। आपको इस बात की चिंता क्यों नहीं सताती?
पेटरोल, डीजल पर सरकारों ने शराब की अपेक्षा बहुत अधिक कर लगाया है। आपको इसकी चिंता क्यों नहीं सताती? सरकारी गुंडे कितना लूट रहे हैं, कितने प्रोजेक्ट्स में कितनी रिश्वत डकार रहे हैं, इसकी चिंता क्यों नहीं सताती?
सचिन तेंदुलकर उन कंपनियों के लिए स्कोर नहीं करता, जिनके लिए वह विज्ञापन करता है। वह देश और टीम इंडिया के लिए स्कोर करता है। इसलिए वह महान है और बहुत से लोगों की नजर में भगवान भी।

सभी ब्लॉगर्स से मेरी अपील है कि टिप्पणी देते समय अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें और सोच समझकर ही टिप्पणी दें। गलत शब्दों के इस्तेमाल से बचें।
धन्यवाद
मलखान सिंह आमीन







17 टिप्‍पणियां:

शरद कोकास ने कहा…

यही है सच्चाई

कडुवासच ने कहा…

सभी ब्लॉगर्स से मेरी अपील है कि टिप्पणी देते समय अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखें और सोच समझकर ही टिप्पणी दें। गलत शब्दों के इस्तेमाल से बचें।

... बहुत खूब !!!

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

kyon baat ko khinch rahe ho bandhu..:)

Ye Sach hai Sachin ek aisa ICON hai, jise cricket ka bhagwan samjha jaye to atisyokti nahi hai.......:)

main bhi uska FAN hoon yaar!!

lekin iss vishay pe apne mitro se kyon lad rahe ho yaar.......:)

हास्यफुहार ने कहा…

धन्यवाद!

राजभाषा हिंदी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

Unknown ने कहा…

बहुत खूब..
इस महान खिलाडी ने बार बार यह साबित भी किया है..

मनोज कुमार ने कहा…

संग्रहणीय प्रस्तुति!

Anand ने कहा…

we should discuss some other issue...we live in India, we have enough thing to work out...stop this here yaar..

kavyalok.com

Please visit, register, give your post and comments.

हर्षिता ने कहा…

अच्छा लगा।

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

मैंने भी काफी पहले आपके इसी पोस्ट से मिलते-जुलते मुद्दे पर "कहाँ गए प्राचीन खेल????" शीर्षक से एक ब्लॉग पोस्ट की थी.

आपको शायद याद होगा????

बहुत बढ़िया लिखा, विचारणीय पोस्ट लिखने के लिए आभार.

धन्यवाद.

WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

वाणी गीत ने कहा…

सचिन एक बहुत ही अच्छे खिलाडी है ...इसमें कोई शक नहीं ...
मगर हमें ये भी ध्यान में रखना चाहिए करोड़ों की कमाई वाले ये नामचीन व्यक्ति देश के उत्थान में , सामजिक क्षेत्र में क्या सहयोग कर रहे हैं ...!

Urmi ने कहा…

बहुत बढ़िया लिखा है आपने ! अत्यंत सुन्दर प्रस्तुती!

बेनामी ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
बेनामी ने कहा…

प्रिय मित्र,

आपको शायद मेरा नाम याद हो, मैंने कुछ दिन पहले ही आपके ब्लॉग को फ़ॉलो करना शुरू किया है क्योंकि आपके ब्लॉग की कुछ पोस्ट मुझे अच्छी लगी थीं |

पर माफ़ी के साथ कहता हूँ की पिछले कुछ दिनों से आपके ब्लॉग पर सचिन को लेकर काफी विवाद सा दिख रहा है.......मैंने वो सब पड़ा और खुद को कमेंट्स देने से रोक नहीं पाया |

सारी दुनिया की तरह मैं भी सचिन के करोड़ो प्रशंसको में से एक हूँ, और मुझे गर्व है की सचिन एक भारतीय है, जिसने हमारे देश का नाम पूरे विश्व में रोशन किया है|

पर यहाँ मैं यह कहना चाहता हूँ की हर भारतीय को अपनी मानसिकता में बदलाव लाना ज़रूरी है, सुधीर और अदा जी के कमेंट्स में मुझे कुछ भी गलत नज़र नहीं आया उलटे उन्होंने तो सचिन की तारीफ की है|

यह सच है की सचिन एक महान खिलाडी है, और उनका व्यक्तित्व उससे भी महान है, अपने २० साल के कैरियर में वो किसी भी विवाद में नहीं फंसे | वह काफी शांत और सम्मानीय व्यक्ति हैं |

पर इन सब के बावजूद मैं एक जगह सुधीर और अदा जी से सहमत हूँ , कोई भी इंसान महान हो सकता है , पर वो कभी भी भगवान नहीं हो सकता, किसी इंसान को भगवान मानना बिलकुल भी सही नहीं है|माफ़ी के साथ कहता हूँ पर यहाँ ऐसे आप लोगो पर व्यक्तिगत आक्षेप नहीं लगा सकते और इसका क्या मतलब है....... की कमेंट्स देते समय भावनायों पर नियंत्रण रखें.......इसका मतलब तो ये है की जो आपने लिखा सब उस को सही कह दे तो बढ़िया ......और अगर किसी के विचार आपसे नहीं मिलते तो वो गलत हो गया ......और क्या आपने अपनी पोस्ट में भावनाओ पर नियंत्रण रखा है ???

जो कोई भी आप हैं.... सच को सुनने की आदत डालिए......आप किसी पर भी अपनी सोच को थोप नहीं सकते..... आपने एक बात लिखी, अगर कोई आपसे सहमत नहीं है, तो क्या आप उसे ज़बरदस्ती सहमत करवाएंगे.....मेरे विचार में यह पोस्ट सरासर किसी व्यक्ति की निजी सोच पर प्रहार कर रही है ......जो की सरासर गलत है...........आप पड़े लिखे समझदार आदमी हैं........कहने की भाषा में तो एक कहावत के रूप में अपने ऊपर किसी एहसान करने वाले व्यक्ति को लोग कह देते हैं की तुम हमारे लिए भगवान हो, और ऐसे ही लोग सचिन को भी भगवान कह देते हैं.......पर सच में कभी भी कोई इंसान भगवान नहीं हो सकता, और अगर कोई ऐसा समझता है तो वो भगवान का अपमान करता हैं......

अब आपकी दूसरी बात का जवाब आपने सचिन के जो आंकड़े प्रदर्शित किये हैं.........

अगर आप कहे तो मैं आपको कई ऐसे मैच बता सकता हूँ, जिसमे सचिन ने शतक किया पर वो मैच भारत जीत नहीं पाया, ये बढ़िया है अगर कोई न चले और सचिन चल जाएँ और भारत जीत जाये तो सचिन ने जिताया..... और अगर न जीत अपये तो उसके अकेले से क्या होता है क्रिकेट तो टीम गेम है|

मैं एक बार फिर कहना चाहता हूँ की मैं सचिन का प्रशंसक हूँ, पर वो भी दूसरों की तरह एक इंसान हैं, उनकी भी कमजोरियां हैं...........

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

Gyaanbardhak post hai. Cricket ka mahatv batane men Apka prayaas srahniye hai.

Iske liye Dhanyvaad.

सुधीर राघव ने कहा…

क्रिकेट का समाज के विकास में योगदान, शीर्षक पढ़कर लगा कि अच्छी जानकारियां होंगी, मगर निराशा हुई। आप विषय से भटक गए। आप भावनाओँ में बह गए, जानकारियां गोल कर गए।

क्रिकेट को खेल ही रहने दें, धर्म न बनाएं
http://sudhirraghav.blogspot.com/2010/08/blog-post_09.html

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

यह तो बहुत बढ़िया है....
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'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है.