17 सितंबर 2010

उदासी छाई है मन में कारण मैं खुद नहीं जानता..........!!!!!


 उदासी छाई  है मन में 
कारण मै खुद नहीं जानता
जो रूठा है अपना वो मनाने  पर भी नहीं मानता
दर्द मिले है हमें  जो ,
उनका घाव भरना भी नहीं जानता |
दुखाया है शायद दिल किसी का मैंने
मुझे शायद वो भी नहीं जानता |
प्यार तो कर सकता हूँ मैं भी ,
पर कोई है जो प्यार निभाना नहीं जानता |
जिस प्यार की होती है पूजा
वो पूजा शायद करना ही नहीं जानता
उदासी  छाई है मन में
कारण मैं खुद  नहीं जानता |


.....संजय कुमार भास्कर

57 टिप्‍पणियां:

Aruna Kapoor ने कहा…

जिस प्यार की होती है पूजा
वो पूजा शायद करना ही नहीं जानता
उदासी छाई है मन में
कारण मैं खुद नहीं जानता |

...ये अनजानापन ही उदासी का कारण तो नही?....बहुत सुंदर भावोक्ति!

मंजुला ने कहा…

बहुत भावपूर्ण कविता है ..

मंजुला ने कहा…

बहुत भावपूर्ण कविता है ..

Unknown ने कहा…

बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना.....

Unknown ने कहा…

जिस प्यार की होती है पूजा
वो पूजा शायद करना ही नहीं जानता
उदासी छाई है मन में
कारण मैं खुद नहीं जानता |

.......बहुत खूब लिखा है |बधाई

Urmi ने कहा…

सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ है! बधाई!

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

bahut sunder kavita ! bade dino baad aapne kavita rachi hai...

कडुवासच ने कहा…

जिस प्यार की होती है पूजा
वो पूजा शायद करना ही नहीं जानता

... bhaavpoorn lekhan ... sundar rachanaa ... kintu dard samaahit hai, jo naheen honaa chaahiye ...!!!

Unknown ने कहा…

खूबसूरत रचना.....

Unknown ने कहा…

वाह क्या बात कही है ... सच है प्रेम करना कठिन है ...
जिस प्यार की होती है पूजा
वो पूजा शायद करना ही नहीं जानता

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

उदासी छाई है मन में
कारण मैं खुद नहीं जानता |



.......मै बताता हूँ ना जल्दी ही कोई खुशी छलकने वाली है ...भाई जी !!!

Khare A ने कहा…

behad bhavpurn rachna

sundar abhivaykti

Udan Tashtari ने कहा…

उदासी छाई है मन में
कारण मैं खुद नहीं जानता |


-गहरे उतरो..कारण भी मिलेगा..बढ़िया अभिव्यक्ति!

सुज्ञ ने कहा…

भास्कर छिपा रहता नहिं बादल छाने से।
मनोबल बह नहिं सकता उदासी छाने से॥

मायुसी की सुन्दर अभिव्यक्ति!!

kshama ने कहा…

Door kahin andar,apni udaasee kaa karan to han jante hain...usse wabasta hona nahi chahte,haina?

हमारीवाणी ने कहा…

खूबसूरत कविता लिखी हैं भास्कर जी.




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Mahak ने कहा…

बहुत ही शानदार एवं भावपूर्ण रचना

बेनामी ने कहा…

kya hua???
aaj kal saare hi udaas huye ja rahe hain....

बेनामी ने कहा…

achhi rachna aur iske liye badhai....

Unknown ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

शान्त थोड़ा समय कहीं और लगा दें, उदासी भी ढल जायेगी।

निर्मला कपिला ने कहा…

जिस प्यार की होती है पूजा
वो पूजा शायद करना ही नहीं जानता
उदासी छाई है मन में
कारण मैं खुद नहीं जानता |
तभी तो! बेटा जब प्यार करना नहीजानते तो किया ही क्यों। प्रवीण जी की बात मान लो
आशीर्वाद।

Sharma ,Amit ने कहा…

good one sanjay !!!

Dev K Jha ने कहा…

काफ़ी गहराई में उतर गये भैया..... अब वापस आ जाओ....

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.

रामराम.

विवेक रस्तोगी ने कहा…

कुछ पंक्तियाँ कम लगी, और गहराई में जाओ लिखने के लिये...

लिखने के लिये मूड बहुत जरुरी होता है फ़िर वो कोई सा भी हो..

पंक्तियाँ दिल को छू गईं।

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

उदासी छाई है मन में
कारण मैं खुद नहीं जानता |

बहुत ही सुंदर पंक्तियां हैं...बहुत अच्छा लिखा है...

रानीविशाल ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता लिखी है आपने लेकिन उदासी छा गई माँ में तो मामाजी मेरे ब्लॉग पर आजाइये न.......दिल खुश होजाएगा :)
नन्ही ब्लॉगर
अनुष्का

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

प्यार के दर्द में डूबी हुई रचना..................... बहुत सुन्दर...........

अनिल कान्त ने कहा…

अच्छी कोशिश...

राजकुमार सोनी ने कहा…

आप हमेशा ही अच्छा लिखते है
इस बार भी आपने शानदार लिखा है
आपको बधाई

Asha Lata Saxena ने कहा…

बहुत खूब लिखा है |बधाई
आशा

डॉ रजनी मल्होत्रा नैय्यर (लारा) ने कहा…

जिस प्यार की होती है पूजा
वो पूजा शायद करना ही नहीं जानता
उदासी छाई है मन में
कारण मैं खुद नहीं जानता |
बहुत अच्छा लिखा है,.....

Coral ने कहा…

उदासी छाई है मन में
कारण मै खुद नहीं जानता
जो रूठा है अपना वो मनाने पर भी नहीं मानता

कितना सुन्दर लिखा है....

-----
इसे भी पढ़े :- मजदूर

http://coralsapphire.blogspot.com/2010/09/blog-post_17.html

Unknown ने कहा…

बेशक बहुत सुन्दर लिखा और सचित्र रचना ने उसको और खूबसूरत बना दिया है.

Unknown ने कहा…

office ke kaam ke sath kaha se samay nikal lete ho.

itna sunder likhne ke liye

superb

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ ने कहा…

Vats Sanjay......
Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko!
Ashish

Satish Saxena ने कहा…

शुभकामनाएं आपको ! :-)

Satish Saxena ने कहा…

शुभकामनाएं आपको ! :-)

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

Sanjay ji .....chinta mat karo .

kuch dino baad sab kuch ho jaayegaa.

Abhaar.......

vandana gupta ने कहा…

बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति।

Palak.p ने कहा…

bahot hi sunder rachna badhai svikaray .......

बेनामी ने कहा…

ghumne ka shauk hai ghumta rehta hoon...

रंजन ने कहा…

बहुत सुन्दर!!

ज़मीर ने कहा…

एक अच्छी कविता , जो अपने मे बहुत कुछ समेटे हुए है, शुभकामनायें..

Amit K Sagar ने कहा…

बहुत खूबसूरत रचना है. सीधे-साधे शब्दों में.
जारी रहें.

चंद्रमौलेश्वर प्रसाद ने कहा…

प्यार तो कर सकता हूँ मैं भी ,
पर कोई है जो प्यार निभाना नहीं जानता |

यह तो एकतरफ़ा हुआ ना भाई :)

ZEAL ने कहा…

भावपूर्ण कविता

चन्द्र कुमार सोनी ने कहा…

संजय भास्कर जी,
जिस तरह समुद्र की शान्ति तूफ़ान के पहले की शान्ति होती हैं यानी तूफ़ान के आने का आभास देती हैं,
उसी तरह आपकी उदासी आपके जीवन में ख़ुशी के आने का आभास दे रही हैं.
कृपया इस आभास को पहचाने.
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

संजय भास्‍कर ने कहा…

आप सभी का ह्र्दय से बहुत बहुत
धन्यवाद, मेरे ब्लॉग से जुड़ने के लिए और बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए

अनुपमा पाठक ने कहा…

sundar kavita!
it is more than often that we cannot figure out the reason of our sadness/loneliness....
well expressed!
regards,

रचना दीक्षित ने कहा…

जिस प्यार की होती है पूजा
वो पूजा शायद करना ही नहीं जानता
उदासी छाई है मन में
कारण मैं खुद नहीं जानता |
बहुत कुछ समेटे हुए भावपूर्ण कविता

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जिस प्यार की होती है पूजा
वो पूजा शायद करना ही नहीं जानता
उदासी छाई है मन में
कारण मैं खुद नहीं जानता ...

बहुत ही संवेदन शील ..... मन खोल दिया है आपने संजय जी .... पर ये वक़्त भी गुज़र जाएगा ....

Suman Anuragi ने कहा…

its really heart touching poem...

Shilpa Shree ने कहा…

what i like most in ur blog is ur seletion of pix which compliments ur wrds n ds enrich ur context.all d bst.

Unknown ने कहा…

उदासी छाई है मन में
कारण मैं खुद नहीं जानता |

बहुत ही सुंदर पंक्तियां हैं...बहुत अच्छा लिखा है...

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिये हैं। बधाई।