15 फ़रवरी 2010

तितलियों के दीदार के लिए तरसती हैं अब आंखें।



गांव-देहात के बागों की हरियाली, रंग-बिरंगे खिलखिलाते फूल और उनपर मंडराती रंग-बिरंगी तितलियां! इस खूबसूरत मंजर को देखकर सारी थकान छू मंतर हो जाती थी लेकिन वक्त बदला तो आबोहवा भी बदल गई। अब इन फूलों पर तितलियां नहीं मंडरातीं। बागबां हैरान-परेशान है। प्रकृति की इस अनोखी छटा को दीदार के लिए तरसती हैं अब आंखें।
दरअसल अब गौरैया, चील व गिद्ध के बाद तितलियां भी कम दिखती है। आम तौर पर वसंत के दिनों में रंग-बिरंगी आकर्षक तितलियां सहज ही लोगों का मन मोह लेती थीं। नीली, पीली, हरी, काली, सफेद, बैंगनी वगैरह-वगैरह तमाम रंगों में पंख फैलाए फूलों का रस चूसती तितलियों को देख बच्चे उसे पकड़ने के लिए घंटों मशक्कत करते थे। यहां तक कि बड़े भी इन तितलियों के आकर्षण पाश में बंध कर खिलखिलाते थे। अब ये सारी बातें इतिहास बनती जा रही है।