04 अप्रैल 2013

दिन में फैली ख़ामोशी -- संजय भास्कर


जब कोई इस दुनिया से
चला जाता है
वह दिन उस इलाके के लिए
बहुत अजीब हो जाता है
चारों दिशओं में जैसे
एक ख़ामोशी सी छा जाती है
दिन में फैली ख़ामोशी
वहां के लोगो को सुन्न कर देती है
क्योंकि कोई शक्श
इस दुनिया से
रुखसत हो चुका होता है ...........!!!!!

 
चित्र - गूगल से साभार

 
@ संजय भास्कर 

46 टिप्‍पणियां:

डॉ. जेन्नी शबनम ने कहा…

किसी का सदा के लिए रुखसत होना जीवन के सच को दिखा देता है... मृत्यु अंतिम सच.

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

इलाका तो एक दिन के लिए खामोश होता है मगर किसी दिल में तो ताउम्र का सन्नाटा पसर जाता है......
:-(

अनु

Shalini kaushik ने कहा…

.भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी आभार आ गयी मोदी को वोट देने की सुनहरी घड़ी .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

expression ने कहा…
इलाका तो एक दिन के लिए खामोश होता है मगर किसी दिल में तो ताउम्र का सन्नाटा पसर जाता है......
:-(
sahamat hoon
God Bless U ..

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या रब
क्या लुफ्त अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया है,!!!

RECENT POST: जुल्म

Anita ने कहा…

मार्मिक कविता...

Rashmi Swaroop ने कहा…

:( सही कह रहे हैं भैया, उनकी जगह फ़िर एक खालीपन बसने लगता है… क्योंकि कोई शक्श
इस दुनिया से
रुखसत हो चुका होता है ...!

Unknown ने कहा…

पूरी मार्मिकता से उभारा है चित्र आपने!

अशोक सलूजा ने कहा…

पुराने युग से निकल कर ..आज के युग में आओ !भास्कर भाई ..
आज तो पड़ोस में टी.वी. चल रहा होता है ?
आप की भावनाओ को सलाम !
शुभकामनायें!

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…


कडुआ सच पर मानना पड़ता है
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my post कोल्हू के बैल

Maheshwari kaneri ने कहा…

सच कहा..ये संन्नाटा उम्र भर दर्द देजाता है..शुभकामनाएं

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

दिल को छू लेने वाली अभिव्यक्ति

Mamta Bajpai ने कहा…

हाँ ..ऐसा ही होता है जब भावनाए जागृत होती हैं तब...अन्यथा कुछ भी नहीं

ब्लॉग बुलेटिन ने कहा…

आज की ब्लॉग बुलेटिन बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

Rohitas Ghorela ने कहा…

बड़ा दुखदाई दिन होता है ..एक एक पल बड़ा भारी पड़ता हैं

पधारिये आजादी रो दीवानों: सागरमल गोपा (राजस्थानी कविता)

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

चारों दिशओं में जैसे
एक ख़ामोशी सी छा जाती है ....sahi bat...mujhse behtar ise kaun samjh sakta hai.....

Asha Lata Saxena ने कहा…

भाव पूर्ण अभिव्यक्ति |उम्दा है |
आशा

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बेहद भावपूर्ण रचना...

आशा बिष्ट ने कहा…

शब्दों को चित्र ने समझा दिया
मार्मिक

आशा बिष्ट ने कहा…

शब्दों को चित्र ने समझा दिया
मार्मिक

Unknown ने कहा…

भावात्मक अभिव्यक्ति

दिगम्बर नासवा ने कहा…

जीवन के इस अंतिम सत्य को प्राकृति भी पहचानती है ...
अर्थपूर्ण लिखा है संजय जी ..

रचना दीक्षित ने कहा…

सच को तो स्वीकारना ही पड़ता है. संवेदनशील प्रस्तुति.

Neeraj Neer ने कहा…

बहुत खूब.

Aditya Tikku ने कहा…

badiya

Poonam Matia ने कहा…

sach ki abhivyakti

मन्टू कुमार ने कहा…

Sahi kaha aapne.
Bhavpurn rachna...

VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…

दिल को छू लेने वाली अभिव्यक्ति संवेदनशील प्रस्तुति.

Surendra shukla" Bhramar"5 ने कहा…

..
भाई सब कुछ वही रहते हुए भी खामोशी ..दिल का सूनापन अलग अलग रिश्तों पर अलग प्रभाव ...
लेकिन अब समय बहुत बदल चूका है बड़ी मुश्किल से लोग थोड़ी देर ...फिर बदल
Bhramar5

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) ने कहा…

यही शून्य दुनियाँ है, सुंदर रचना.......

Dinesh pareek ने कहा…

नवरात्रों की बहुत बहुत शुभकामनाये
आपके ब्लाग पर बहुत दिनों के बाद आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
बहुत खूब बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
मेरी मांग

Dinesh pareek ने कहा…

नवरात्रों की बहुत बहुत शुभकामनाये
आपके ब्लाग पर बहुत दिनों के बाद आने के लिए माफ़ी चाहता हूँ
बहुत खूब बेह्तरीन अभिव्यक्ति!शुभकामनायें
आज की मेरी नई रचना आपके विचारो के इंतजार में
मेरी मांग

दिल की आवाज़ ने कहा…

बहुत बढ़िया संजय जी ... सादर !

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

लाजवाब ! सुन्दर पोस्ट लिखी आपने | पढ़ने पर आनंद की अनुभूति हुई | आभार |

कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page

Ranjana verma ने कहा…

निशब्द कर दी आपकी कविता ...संवेदनशील रचना

सदा ने कहा…

भावमय करते शब्‍द ....
बिल्‍कुल सही कहा आपने

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

अच्‍छा लगा आपकी पहली कविता को पढ़ कर। जीवन-मृत्‍यु मेरे लिए भी कविताई करने के सर्वोत्‍कृष्‍ट विषय हैं। (शक्श) को (शख्‍स) कर लें। अच्‍छी कविताओं में गलतियां अखरती हैं। आपके प्रत्‍युत्‍तरों हेतु धन्‍यवाद।

ashokkhachar56@gmail.com ने कहा…

aaha ha.kya bat hai sr waaaaaah waaaaaaaaaah...

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत सटीक.

रामराम

Arun sathi ने कहा…

MARMIK SANJAY BHAI.....DARD HE

Jyoti khare ने कहा…


गहन अनुभूति
सुंदर रचना
उत्कृष्ट प्रस्तुति
शुभकामनायें

***Punam*** ने कहा…

संवेदनशील प्रस्तुति....

***Punam*** ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Prashant Suhano ने कहा…

बेहतरीन रचना.. मृत्यु अंतिम सत्य है संजय जी.. और यही हमारे जीवन को त्वरा देता है....

राज चौहान ने कहा…

बहुत बढ़िया संजय जी

Reetika ने कहा…

Umda...