06 दिसंबर 2013

......... बहुत परेशान है मेरी कविता -- संजय भास्कर

( चित्र - गूगल से साभार )

बहुत परेशान है मेरी कविता
कुछ सच्ची कुछ झूठी है मेरी कविता !!

कोशिश करता हूँ लिखू कठिन शब्दों में
पर बहुत ही सरल शब्दों में है मेरी कविता  !!

लिखना चाहता हूँ हमेशा बड़ी कविता
पर अक्सर छोटी ही रह जाती है मेरी कविता !!

जो शब्द,लफ्ज विचार आते है मन में लिख देता हूँ 
इन सब को मिला कर तैयार हुई है मेरी कविता  !!

दर्द के लम्हो को लिख दिया कागज पर
तभी तो बहुत परेशान है मेरी कविता  !!

सभी साथियों को मेरा नमस्कार काफी दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ  पर अब आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अपनी नई रचना के साथ उम्मीद है आपको पसंद आये.........!!!



--  संजय भास्कर 




46 टिप्‍पणियां:

Rahul... ने कहा…

कविता चाहे जैसी भी हो, पर सरल शब्दों का भाव-माधुर्य अंदर तक उतर गया.....

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

bahut sundar kavita sanjay bhai.... aapki vyastata bani rahe, yahi kamna hai

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

दर्द के लम्हो को लिख दिया कागज पर
तभी तो बहुत परेशान है मेरी कविता !!
मन से निकली हर बात मन तक पहुंचती है.....
बहुत ही बेहतरीन भावपूर्ण अभिव्यक्ति....

Parul Chandra ने कहा…

कविताएं सरल होती हैं तभी हर वर्ग के लोगों के दिल तक उतरती हैं... सरलता ही आपकी कविताओं की जान है..बहुत अच्छी प्रस्तुति

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

सरल और छोटी कविता ही कवि की आत्मा होती है .दिल तक उतर जाती है !
नई पोस्ट वो दूल्हा....
latest post कालाबाश फल

Manjusha negi ने कहा…

बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण ..अभिव्यक्ति..

कौशल लाल ने कहा…

बहुत सुन्दर है आपका कविता ....

Anupama Tripathi ने कहा…

सुंदर सरल सहज अभिव्यक्ति .....

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत पसंद आई
हार्दिक शुभकामनायें

आशीष अवस्थी ने कहा…

बहुत बढ़िया कृति व प्रस्तुति , संजय भाई धन्यवाद
नया प्रकाशन -: अपने ब्लॉग के लेख को कॉपी होने से कैसे बचाएं !

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

दर्द के लम्हो को लिख दिया कागज पर
तभी तो बहुत परेशान है मेरी कविता !!

वा ! बेहतरीन भावपूर्ण अभिव्यक्ति....बधाई
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Recent post -: वोट से पहले .

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

बड़ी सुन्दर है आपकी कविता....
:-)

कितने भी व्यस्त हों, लिखते रहिये |
अनु

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर !

babanpandey ने कहा…

गागर में सागर भरती है आपकी कविता...

Asha Lata Saxena ने कहा…

कविता तो कविता ही है चाहे जैसे बनाई जाए |कविता पढ़ कर बहुत मजा आया |

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

बहुत सुन्दर है आपकी कविता.

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

SUNDAR AUR SARAL HAI AAPKI KAITA ....

Bharat Bhushan ने कहा…

बहुत खूब संजय जी. आप ब्लॉगिंग लौटते हैं अच्छा लगता है.

Suman ने कहा…

सरल शब्दों में कविता अकसर पढने वाले के मन को बड़ी जल्दी छू लेती है बड़ी कविता से छोटी कविता असरदार होती है इस नाते सुन्दर है यह कविता :)
दर्द कागज पर लिखने से कम हो जाना चाहिए परेशान क्यों है आपकी कविता ?

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

Bahut Sunder Rachna

चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ ने कहा…

वाह क्या बात! बहुत ख़ूब!

इसी मोड़ से गुज़रा है फिर कोई नौजवाँ और कुछ नहीं

राज चौहान ने कहा…

दर्द के लम्हो को लिख दिया कागज पर
तभी तो बहुत परेशान है मेरी कविता !!

...बेहतरीन अभिव्यक्ति....बधाई

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सहज, सरल शब्दों में मन के भाव उतार दिए हैं संजय जी ... दिल को छूते जज्बात ...

संध्या शर्मा ने कहा…

bahut sundar kawita... shubhkamnayen

Asha Joglekar ने कहा…

दर्द को उतार दिया है कागज पर, तब ही तो बनी है ये मेरी कविता। बहुत सुंदर संजय जी।

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

बहुत उम्दा... भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
नयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना...

Ranjana verma ने कहा…

सीधे सीधे शब्दों में दिल से लिखी कविता सीधे दिल को छूती है......

Ranjana verma ने कहा…

सीधे सीधे शब्दों में दिल से लिखी कविता सीधे दिल को छूती है......

Rachana ने कहा…

दर्द के लम्हो को लिख दिया कागज पर
तभी तो बहुत परेशान है मेरी कविता !!
bahut sunder likha hai
rachana

Kailash Sharma ने कहा…


दर्द के लम्हो को लिख दिया कागज पर
तभी तो बहुत परेशान है मेरी कविता !!

....बहुत भावपूर्ण और सुन्दर अभिव्यक्ति...

Udan Tashtari ने कहा…

सरल शब्दों में भावपूर्ण कविता....

जयंत - समर शेष ने कहा…

Bahut sundar!!
Achchhi hai aapaki kavitaa!!

Ankur Jain ने कहा…

भास्कर जी परेशान तो इंसान होता है कविता तो उस परेशानी में जाहिर हुई एक अभिव्यक्ति है जो उसकी परेशानी में मरहम लगाने का काम करती है..शायद इसी वजह से कभी-कभी वो कविता भी परेशान हो जाती है...सुंदर प्रस्तुति।।।

prritiy----sneh ने कहा…

saral shabd hi hrida ko chhu jate hain kathin shabd to shbdon ke jaal mein uljha dete hain.

sunder abhivyakti, paathan man bhaya.

shubhkamnayen

राज चौहान ने कहा…

शानदार..पंक्तियाँ...

Dr. pratibha sowaty ने कहा…

nc post

Apanatva ने कहा…

Bhavpoorn abhivykti

Aabhar




Apanatva ने कहा…

Bhavpoorn abhivykti

Aabhar




Kulwant Happy ने कहा…

तुम से निकलकर हो जाती है हमारी कविता

Rewa Tibrewal ने कहा…

Par mujhe tho bahut sundar lagi apki ye kavita....

Himkar Shyam ने कहा…

सरल,सहज,सुन्दर और सार्थक कविता.
http://himkarshyam.blogspot.in

Sameer Mahajan ने कहा…

Sundar

riderfreelance.blogspot.in

राज चौहान ने कहा…

सरल शब्दों में मन के भाव उतार दिए हैं संजय जी

Unknown ने कहा…

दर्द के लम्हो को लिख दिया कागज पर
तभी तो बहुत परेशान है मेरी कविता !!

.......बहुत भावपूर्ण

Meena Bhardwaj ने कहा…

बहुत सुन्दर और मन को छूती है आपकी कविता.....,