15 जनवरी 2015

लेखन तो जिन्हे विरासत में मिला है ऐसी बहुमुखी प्रतिभा की धनी है - साधना वैध

साधना वैद ब्लॉगजगत में एक जाना हुआ नाम है और आशालता सक्सेना मासी और माँ खुशकिस्मत हूँ
दोनों का आशीर्वाद मुझ पर बना हुआ है दोनों ही हमेशा मुझे प्रोत्साहित करती है अच्छा लिखने के लिए
 ( सुधिनामा ब्लॉग की मालकिन ) सुप्रसिद्ध कवियित्री स्व. डॉ. (श्रीमती ) ज्ञानवती सक्सेना जी की पुत्री और श्रीमती आशा लाता सक्सेना जी (आकांशा ब्लॉग ) की छोटी बहन
भाषा पर अधिकार उन्हें अपनी माता जी प्रसिद्ध कवित्री (श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना )जी से विरासत में मिला है ! इसीलिए साधना जी के शब्द चयन बहुत ही सरल और सुंदर है !
करीब दो साल पहले साधना जी की लिखी कुछ लाइन पढ़ी थी जो अचानक आज दोबारा याद आ गई
हर जीत तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं ...........साधना जी  के लेखन की जितनी भी तारीफ की जाए कम है हमेशा ही संवेदन शील विषय पर लिखी हर रचना एक अलग ही छाप छोड़ती है साधना जी का लेखन हमेशा ही दिल को छूकर गुजरता है विषय चाहे कोई भी हो
साधना वैद जी रची हुई कुछ पंक्तियाँ उम्मीद है आपको भी पसंद आये .............!!!

हर जीत तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं ,
हर हार हमारी हो ज़रूरी तो नहीं !

सच है तुम्हें सब मानते हैं रौनके महफ़िल ,
हर बात तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं !

जो रात की तारीकियाँ लिख दीं हमारे नाम ,
हर सुबह पे भारी हों ज़रूरी तो नहीं !

बाँधो न कायदों की बंदिशों में तुम हमें ,
हर साँस तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं !

तुम ख़्वाब में यूँ तो बसे ही रहते हो ,
नींदें भी तुम्हारी हों ज़रूरी तो नहीं !

जज़्बात ओ खयालात पर तो हावी हो ,
गज़लें भी तुम्हारी हों ज़रूरी तो नहीं !

दिल की ज़मीं पे गूँजते अल्फाजों की ,
तहरीर तुम्हारी हों ज़रूरी तो नहीं !

माना की हर एक खेल में माहिर बहुत हो तुम ,
हर मात हमारी हो ज़रूरी तो नहीं !

लम्बे समय से मैं साधना जी का ब्लॉग पढ़ रह हूँ पर उनसे मिलने का सौभाग्य अभी तक नहीं  प्राप्त हुआ मैं अक्सर साधना जी के बारे में कुछ लिखना चाहता था और क्यों न लिखे आखिर उनके लिखने का अंदाज ही ऐसा है कि पाठक अपने आप ही उनके ब्लॉग पर खिंचा चला आता है उनका यही प्रेरणादायक लेखन ने हमेशा ही ब्लॉगजगत को प्रभावित किया है निरंतर लेखन के लिए साधना जी को ढेरों शुभ कामनायें........!!

( C ) संजय भास्कर