24 मार्च 2015

मुसीबत के सिवा कुछ भी नहीं !!

सभी साथियों को मेरा नमस्कार कुछ दिनों से व्यस्त होने के कारण ब्लॉगजगत को समय नहीं दे पा रहा हूँ पर अब आप सभी के समक्ष पुन: उपस्थित हूँ अपनी एक गजलनुमा रचना के साथ उम्मीद है आप सभी को पसंद आये .....!!

चित्र - गूगल से साभार
जिंदगी तो एक मुसीबत है
मुसीबत के सिवा कुछ भी नहीं  !!

पत्थरो तुम्हे क्यूँ पूजूं
तुमसे भी तो मिला कुछ भी नहीं !!

रोया तो बहुत हूँ आज तक
अब भी रोता हूँ नया कुछ भी नहीं !!

चाहा तो बहुत कुछ था मैंने
कोशिश की पर कर न सका कुछ भी नहीं !!

प्रेम है तो सब के अन्दर
पर इस दुनिया में प्रेम से बुरा कुछ भी नहीं  !!

ये दौर है आज कलयुग का
जिसमे धोखा फरेब के सिवा कुछ भी नहीं  !!


( C ) संजय भास्कर

57 टिप्‍पणियां:

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

प्रेम तो सबके अंदर है और प्रेम से बुरा कुछ भी नहीं ...सही कहा आपने

Manoj Kumar ने कहा…

अच्छी रचना

Rashmi Swaroop ने कहा…

Shabd muskura nahi rahe lagta hai.. :)

Sneha Rahul Choudhary ने कहा…

तनिक निराशावादी रचना है. लेकिन मन को छू गयी...
बधाई संजय जी

Sneha Rahul Choudhary ने कहा…

तनिक निराशावादी रचना है. लेकिन मन को छू गयी...
बधाई संजय जी

Suman ने कहा…

जीवन वीणा की तरह है संजय,
जिसमे संगीत भी है विसंगीत भी
लेकिन बजाने वाले कलाकार (मनुष्य)
पर निर्भर है सब कुछ !

dr.sunil k. "Zafar " ने कहा…

तड़फते हुए मन की वेदना को बहुत उम्दा तरीके से व्यक्त किया हैं...
well done sir

कविता रावत ने कहा…

निराशा से उपजी एक अच्छी रचना ....
जिंदगी जाने कितने हो मोड़ों से गुजरती हैं लेकिन आस ही हमें जिन्दा रखती है यह ज्ञान जरुरी हैं ... .
..विपरीत परिस्थितियों में इंसान जिंदगी का असली सबक सीखता है.. ..
फूल हैं तो कांटें भी हैं
दुःख हैं तो सुख भी है
रात है तो सुबह भी है
निराशा है तो आशा भी है

..

प्रभात ने कहा…

बहुत अच्छी रचना ........परन्तु यह निराशा इसलिए होती है क्योंकि हमें कुछ उम्मीदें होती है और वह उम्मीद कुछ अधिक ही होती है वास्तविकता से बहुत दूर .... वही इसका कारण बन जाती है.....आभार!

Sanjay Kumar Garg ने कहा…

संजय भास्कर जी! मन की कुंठा की अभिव्यक्ति!

Ritesh Gupta ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना... थोड़ी निराशावादी जरुर लगी है...

जिन्दगी एक आइसक्रीम की तरह है, टेस्ट करो तो भी पिघलती है, वेस्ट करो तो भी पिघलती है |
इसलिए जिंदगी को टेस्ट करना ज्यादा बेहतर है, वैसे भी वेस्ट तो हो ही रही है...

धन्यवाद

दिगम्बर नासवा ने कहा…

प्रेम है तो सब के अन्दर
पर इस दुनिया में प्रेम से बुरा कुछ भी नहीं ...
सच कहा है ... प्रेम ही है जो जीवन संजीवनी बन जाता है और उल्टा पड़ जाए तो विष बन जाता है ...
हर शेर में जुदा ख्याल है ... बहुत ही लाजवाब और सार्थक लिखा है संजय जी ...

दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 26-03-2015 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा
धन्यवाद

Satish Saxena ने कहा…

बहुत सुन्दर , मंगलकामनाएं आपको !!

Unknown ने कहा…

प्रेम है तो सब के अन्दर
पर इस दुनिया में प्रेम से बुरा कुछ भी नहीं !!
प्रेम से भला भी कुछ नहीं ........ सुन्दर शब्द रचना
http://savanxxx.blogspot.in

Himkar Shyam ने कहा…

खूबसूरत अभिव्यक्ति...शब्द हँसते रहें, शब्दों की मुस्कुराहट जल्द वापस लौटे...मंगलकामनाएँ

dr.mahendrag ने कहा…

अच्छी प्रस्तुति,लगता है कोई दफनाया दर्द जैसे फिर बाहर निकल आ खड़ा हो गया हो

Asha Joglekar ने कहा…

आह से ही उपजी है ये सुंदर कविता। अक्सर दर्द ही होता है सृजन का कारण।

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

प्रेम एक सापेक्ष भाव है।
परिस्थितियां उसे अच्छा या बुरा प्रतीत करवाती हैं।

ओंकारनाथ मिश्र ने कहा…

सुन्दर रचना.

मन के - मनके ने कहा…

भावपूर्ण---अम्धेरों को ही काट कर
रोशनी निकलती है---

Unknown ने कहा…

प्रेम है तो सब के अन्दर
पर इस दुनिया में प्रेम से बुरा कुछ भी नहीं !!
प्रेम से भला भी कुछ नहीं ........ सुन्दर शब्द रचना

Kehna Chahti Hu... ने कहा…

aapki gazalnuma rachna padhte waqt ek muskurahat ka sath tha jo har agle padaav pe naye shabdo ko sach pa kar muskura rahi thi...ye sath akhiri shabd tak rahaa...:-)
badhai aapko sanjay ji!!

Vandana Ramasingh ने कहा…

घने बादलों में हलकी सी रोशनी की लकीर होती जिसे पहचानने की जरूरत है और सब ठीक हो जाता है

ज्योति-कलश ने कहा…

कभी उम्मीद ..कभी नाउम्मीदी से भरी
ज़िंदगी कविता है ..और ..कुछ भी नहीं .. :)

ज्योति-कलश ने कहा…

बहुत सुन्दर रचना !

Kailash Sharma ने कहा…

रोया तो बहुत हूँ आज तक
अब भी रोता हूँ नया कुछ भी नहीं !!
..वाह..बहुत भावपूर्ण और सुन्दर रचना

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

कहीं कुछ कुछ है
कहीं बहुत कुछ है
कहीं कुछ भी नहीं ।

:) उम्दा ।

सदा ने कहा…

waaah bht hi bhavmay karte shabd hain....

Rewa Tibrewal ने कहा…

aaj ka sach yahi hai....har baar ki tarah is baar bhi umda shabd rachna

वीरेंद्र सिंह ने कहा…

संजय भाई ....सही लिखा है। बहुत बढ़िया।

Satish Saxena ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Satish Saxena ने कहा…

लिखना बंद कर दिया क्या ? , सस्नेह मंगलकामनाएं !

Laxman j purohit ने कहा…

सही कहा आपने कवीता जी

IMAGE PHOTOGRAPHY ने कहा…

जिन्दगी एक मुसीबत नही एक खुबसुरत अहसास है, जीने की एक वजह है, प्यार की वजह है ये यु बेकार न जाया करो मेरे दोस्त, आज नये दिन का आगाज जिन्दगी है........... खुबसुरत

Sanju ने कहा…

सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
शुभकामनाएँ।
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

Ankur Jain ने कहा…

बहुत खूब..ज़िंदगी की कड़वी सच्चाई बयां की है। जो निराशावादी सी ज़रूर लगती है पर सीने में कहीं इस सच का अहसास भी संजोये रखना चाहिये।

रचना दीक्षित ने कहा…

प्रेम है तो सब के अन्दर
पर इस दुनिया में प्रेम से बुरा कुछ भी नहीं !!
क्या बात है अच्छी लगी रचना

Madan Mohan Saxena ने कहा…

प्रेम तो सबके अंदर है और प्रेम से बुरा कुछ भी नहीं
बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.

Madan Mohan Saxena ने कहा…

प्रेम तो सबके अंदर है और प्रेम से बुरा कुछ भी नहीं
बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.

Sanju ने कहा…

Very nice post.. & welcome to my new blog post

Unknown ने कहा…

संजय भाई ....सही लिखा है। बहुत बढ़िया।

Simple and effective

Unknown ने कहा…

संजय भाई ....सही लिखा है। बहुत बढ़िया।

Unknown ने कहा…

वो कहते हैं न की आज के ज़माने में प्यार से जादा
पैसे को महत्व मिलता है? पैसे बिना प्यार फजूल है
रहीम खानखाना जी का एक दोहा याद आता है
( रहिमन पानी राखिये और बिन पानी सब सून !
पानी गए ना उबरे मोती मानस चुन !)आज ये ही दोहा कुछ इस प्रकार होत्ता (रहिमन पैसा राखिये और बिन पैसा सब सून ,पैसा गए ना उबरे इज्ज़त, रिश्ते. अपने, पराये ,सब सून )

कहकशां खान ने कहा…

बेहद भावपूर्णं रचना।

dj ने कहा…

प्रेम है तो सब के अन्दर
पर इस दुनिया में प्रेम से बुरा कुछ भी नहीं !!
भावपूर्ण रचना

Asha Joglekar ने कहा…

एकदम इतनी हताशा । धोखा, फरेब है पर प्यार विश्वास भी तो है।

शिवनाथ कुमार ने कहा…

जिंदगी का अनुभव कुछ कड़वा कुछ मीठा
ऐसी ही है जिंदगी
सुन्दर अभिव्यक्ति !

Unknown ने कहा…

ज़िंदगी की कड़वी सच्चाई बयां की है... बहुत बढ़िया।

Madhulika Patel ने कहा…

बहुत ही वेहतरीन रचना ।

Madhulika Patel ने कहा…

बहुत ही वेहतरीन रचना ।

Madhulika Patel ने कहा…

बहुत ही वेहतरीन रचना ।

Madhulika Patel ने कहा…

बहुत ही वेहतरीन रचना ।

बेनामी ने कहा…

आप को इस तरह अच्छी बात

मुकुल कुमारी अमलतास ने कहा…

अति सुंदर ।

शुभा ने कहा…

दर्द उँडेल दिया है गया है शब्दों द्वारा । सुन्दर रचना ।

Meena Bhardwaj ने कहा…

मर्मस्पर्शी ...., अति सुन्दर गज़ल .