25 अगस्त 2015

तुमको छोड़ कर सब कुछ लिखूंगा -- संजय भास्कर

                                                     चित्र - गूगल से साभार
कोरा कागज़ और कलम                           
 शीशी में है कुछ स्याही की बूंदे
जिन्हे लेकर आज बरसो बाद
बैठा हूँ फिर से
कुछ पुरानी यादें लिखने
जिसमें तुमको छोड़ कर
सब कुछ लिखूंगा
आज ये ठान कर बैठा हूँ
कलम कोरे पन्नें को भरना चाहती है
पर कोई ख्याल आता ही नही
शब्द जैसे खो गए है मानो
क्योंकि अगर मैं तुमको छोड़ता हूँ
तो शब्द मुझे छोड़ देते है
पता नहीं आज
उन एहसासो को
शब्दो में बांध नही पा रहा हूँ मैं
क्योंकि आज
ऐसा लग रहा है की मुझे
मेरे सवालो के जवाब नही मिल रहे है
शायद तुम जो साथ नहीं हो 
और ये सब तुम्हारे प्यार का असर है
हाँ हाँ तुम्हारे प्यार का असर है
जो तुम बार बार आ जाती हो
मेरे ख्यालों में
तभी तो आज ठान का बैठा हूँ
कि तुमको छोड़ कर
सब कुछ लिखूंगा ................!!

( C ) संजय भास्कऱ

01 अगस्त 2015

बड़े लोग - संजय भास्कर :)


                                                    ( चित्र - गूगल से साभार )

आधी रात को अचानक 
किसी के चीखने की आवाज़ से 
चौंक कर 
सीधे छत पर भागा
देखा सामने वाले घर में 
कुछ चोर घुस गये थे
वो चोरी के इरादे में थे 
हथियार बंद लोग 
जिसे देख मैं भी डर गया
एक बार 
चिल्लाने से 
पर कुछ देर चुप रहने के 
बाद 
मैं जोर से चिल्लाया 
पर कोई असर न हुआ 
मेरे चिल्लाने का 
बड़ी बिल्डिंग के लोगो पर 
.....क्योंकि सो जाते है 
घोड़े बेचकर अक्सर 
बड़ी बिल्डिंग के बड़े लोग ......!!


( C ) संजय भास्कर